शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

डर का समझौता

बेला गांव में हुई दबंगों की गोली से हुई मौत के बाद जिस तरह से घटनाक्रम बदला, मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा का इस्तीफा, बयानों में बार-बार बदलाव, कुशवाह समाज के लोगों का धरना जारी था। घटना के कुछ दिनों बाद बुधवार की शाम अनूप मिश्रा का मुख्यमंत्री से मिलना और उसी रात को प्रदेश के गृहराज्य मंत्री नारायण सिंह कुशवाहका ग्वालियर आना और फिर देर शाम बैठक और इसमें समझौता। इधर समाज के लोगों का तमाम मांगों को लेकर धरना तो उधर बाल भवन में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी मे पीडि़त परिवार के सदस्य और नारायण सिंह कुशवाह थे। सब कुछ ठीक हो गया। पीडि़त परिवार भी कोर्ट के फैसले की बात कहकर मान गया और हो गया बहुचर्चित बेला गांव मामले का पटाक्षेप। यहां ढेर सारे सवाल मन में हैं? आखिर एक ही रात में अचानक क्या हुआ कि पूरा मामला ही सुलट गया। किसी को किसी से कोई गिला शिकवा नहीं था। उधर धरने पर बैठे समाज के लोगों को पता नहीं चला कि राजीनामा हो गया। लोगों में मन में तमाम सवाल थे। लोगों का तो यहां तक कहना था कि विधानसभा सत्र में विपक्ष सरकार को घेरने का मन बना चुका है, ऐसे में कहीं विपक्ष भारी न पड़ जाए, सो मामले का पटाक्षेप होना जरूरी था। पीडि़त परिवार की सभी मांगे मान ली गईं। खैर जो भी हुआ हो मामला सुलट ही गया। इसमें जीत जनता की मानें या फिर अनूप मिश्रा की, सोचने वाली बात है। हां एक बात और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी अपने आकाओं की खूब निभाई, ऐसी हलकों में चर्चा है।

ajay sahu
9926285100


1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

पर्दे के पीछे जाने क्या खेल चला होगा जो राजीनामा हुआ...कौन जाने!