बुधवार, 29 दिसंबर 2010

अपने ही गैर होने चले

सोचा था कि अपने साथ देंगे, और दिया भी , कुछ अपनों ने टांग खींचने की कोशिश भी की, उन्हें कामयाबी भी मिली, मगर मैं अपने रास्ते चलता ही चला जा रहा हूं। कोई कितनी भी रुकावट डालने की कोशिश करे, मगर एक मस्त हाथी की चाल मैं अपनी मंजिल की ओर बढ़ता ही जा रहा हूं। जिन पर विश्वास किया अब वे ही धोखा देने लगे हैं, सवाल यह उठता है क्या यह सही है। उनकी नजरों में तो यह बिल्कुल सही है और हो भी क्यों न , सबका अपना-अपना नजरिया होता है। खैर यह सब कब तक चलता रहेगा, कभी तो सुबह होगी.....

अजय साहू

९९६२६८५१००

रविवार, 5 दिसंबर 2010

यहां तक तो समझ में आता है कि राज्य सरकार के मंत्रियों के पास समय का अभाव रहता है। वे तय शुदा जगह पर कतिपय कारणों से नहीं पहुंच पाते , लेकिन नगर निगम के अधिकारी किसी जगह पर नहीं पहुंचे यह बात गले नहीं उतरती। हम बात कर है गत दिवस हमारे शहर में हुए तानसेन समारोह की। यहां मंत्रीजी के हाथों गुलाम मुस्तफा और अजय पोहनकर जी को तानसेन अलंकरण से सम्मानित किया गया। इसके बाद बारी आती है नगर निगम द्वारा सम्मान किए जाने की। यहां दोनों कलाकारों का सम्मान किसी वरिष्ठ अधिकारी या फिर जनप्रतिनिधि से कराया जाना चाहिए था लेकिन नगर निगमें अधिकारियों के पास इतना समय नहीं था कि दोनों कलाकारों का सम्मान करें। सो निगम के चतुर्थ श्रेणी क्र्लक से दोनों कलाकारों का सम्मान करा दिया। ये क्र्लक महोदय निगम के जनसंपर्क शाखा के रमेश झा हैं। अब सवाल यह है कि दोनों वरिष्ठ कलाकारों का यह सम्मान है या फिर अपमान सोचने वाल बात है।
ajay sahu
gwalior
9926285100