गुरुवार, 30 सितंबर 2010

लो आ गया फैसला

साठ साल से कोर्ट में लंबित फैसला गुरुवार को आ ही गया, अयोध्या मामले में इस फैसले का लोगों को बड़ी बेसब्री से इंतजार था। जो भी हुआ ठीक हुआ, हमें सब्र्र से काम लेना चाहिए। शांति और सद्भाव बनाए रखना ही हमारा धर्म है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे पहले हम सच्चे हिंदुस्तानी हैं। धर्मों में तो हम बाद में बंटे हैं। हमें माननीय न्यायालय के निर्णय का सम्मान करना चाहिए। फैसले का सभी संगठनों ने स्वागत किया है।

शनिवार, 11 सितंबर 2010

सद्भावना की मिसाल.


आपसी सद्भाव का त्योहार ईद और गणेश चतुर्थी का एक दिन अपने आप में संयोग ही कहा जाएगा, ऐसा संयोग काफी सालों बाद आया है। इधर मुस्लिम बंधु एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दे रहे थे वहीं दूसरी तरफ गणपति बप्पा मोरया... से शहर की गलियां गूंज रही थी, एक ही दिन दो त्योहार का होना अपने आप में अनूठी बात है। दोनों त्योहार धूमधाम से मनाए गए । मुस्लिम बंधु भी रोजे के साथ-साथ गणेश प्रतिमा भी स्थापित करते हैं। ग्वालियर शहर के माधौगंज क्षेत्र में टेलरिंग व्यवसाय करने वाले मुस्लिम बंधु बड़े हर्षोल्लास से न केवल गणेश प्रतिमा स्थापित करते हैं बल्कि यहां होने वाले आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। आपसी सद्भावना की यह अकेली मिसाल नहीं है, कई मजारों पर दोनों त्योहार एक ही दिन होने पर पौधरोपण कार्यक्रम किया गया। इसे कहते हैं आपसी सद्भावना की मिसाल.... जय हिंद
अजय साहू

शनिवार, 4 सितंबर 2010

सम्मान या फिर अपमान


टीचर्स डे यानि शिक्षकों का दिन, हो भी क्यों न आखिर वे समाज को नई दिशा देने का काम करने के साथ-साथ होनहारों को उनके मुकाम तक पहुंचाने में एक महती भूमिका जो निभाते हैं। यहां सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में आज के स्टूडेंट्स शिक्षकों का सम्मान करते हैं। अगर तह तक जाएं तो नई बातें निकलकर सामने आएंगी। स्टूडेंट्स को बेहतर दिशा देने की कोशिश करने वाला टीचर्स आखिर उनका दुश्मन बन ही जाता है। कारण है सही दिशा देने की कोशिश, लेकिन आज का स्टूडेंट्स टीचर्स की इन सब बातों को फिजूल ही मानता है, जब टीचर्स सही राह दिखाने का प्रयास करता है तब शुरू होता विरोध का दौर, यह विरोध लगातार बढ़ता रहता है, साल में एक बार आने वाले टीचर्स डे पर स्टूडेंट्स टीचर्स का सम्मान तो करते हैं लेकिन मजबूरी या बेमन से। स्कूल में पढ़ाई करना है तो टीचर्स डे पर उनका सम्मान करना ही पड़ेगा। इस दिन क्या यह उनका वाकई में सम्मान है या अपमान, सोचने वाली बात है। विचार मंथन करना होगा।
जय हिंद
अजय साहू

आखिर रच ही दिया इतिहास

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लगातार चौथी बार कांगे्रस अध्यक्ष बनकर सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए। पार्टी के करीब १२५ सालों के इतिहास को अगर देख जाए तो सोनिया ही लगातार चौथी बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उल्लेखनीय है कि सोनिया ने वर्ष १९९८ में राजनीति में कदम रखा था, उस समय पार्टी के हालात ठीक नहीं थे। खैर सोनिया गांधी जी को ढे सारी बधाइयां।
अजय साहू