जो घट रहा है वह जरूरी नहीं कि सही रूप में लोगों के सामने परोसा जाए, इसलिए मैं तो जो देखता हूं बस मन में आता है लिख देता हूं बस, लोगों को जो भी लगे। अच्छा या बुरा। बस लिखता जाता हूं ओर लिखता
गुरुवार, 12 सितंबर 2013
जो हम सोचते है वह हमें नहीं मिल पता है इसका हमें कारण पता करना होगा हमारे अंदर कहा कमी है मै जो काम हाथ मई लेता हु वेह पूरा होता ही नहीं है खेर बाबा सब ठीक करंगे