शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

चांद तारों को छूने की आशा

अगर कुछ कर दिखाने की जिद हो, तब न तो शारीरिक विकृतियां बाधा बनती हैं और न ही धन का अभाव। व्यक्ति के लिए कुछ भी संभव है। कुछ ऐसी ही संभावनाएं प्रदेश की विकलांग तैराकी टीम में देखी जा सकती हैं। टीम में विक्रम, एकलव्य पुरस्कार प्राप्त ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जो कई स्वर्ण पदक लेकर देश का नाम रोशन कर चुके हैं। ये वे लोग हैं,जिन्हें समाज ने अपने से दूर रखा। लेकिन एक जिद ने ऐसा कर दिया कि पूरा समाज उनके साथ हो लिया। टीम में लगभग सभी खिलाड़ी ऐसे हैं,जो राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं।


दूध का व्यवसाय करने वाले विक्रम पुरस्कार प्राप्त टीम के कप्तान रामवरन पाल बताते हैं कि पड़ोसी के ताने की बदौलत ही आज वह इस मुकाम तक पहुंचे। सुपावली गांव निवासी रामवरन थाटीपुर स्थित रामकृष्ण आश्रम में रहकर पढ़ाई के साथ-साथ तैराकी करने लगे, देखते ही देखते अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन गए। दो अंतरराष्ट्रीय व नौ राष्ट्रीय खेलों में कई पदक प्राप्त कर चुके हैं । इंग्लिश चैनल पार करना ही उनकी तमन्ना है।

वर्ष २००७ में जूनियर वर्ग में एकलव्य पुरस्कार प्राप्त रजनी झा ने बताया कि पहले तैराकी सिर्फ शौक के लिए करती थी लेकिन धीरे-धीरे यह जुनून बन गया, अब इसके बिना मन नहीं लगता। ताइवान , मलेशिया और जर्मनी में अपने खेल का लोहा मनवा चुकी रजनी कहती है, हम लोग सामान्य खिलाडिय़ों से बेहतर प्रदर्शन कर पदक लाते हैं लेकिन जो सुविधाएं हमें मिलनी चाहिए, उससे वंचित रह जाते हैं। विकलांगता अभिशाप नहीं है, सहयोग मिले तो चांद को छू सकते हैं।

११ स्वर्ण पदक लेकर नाम रोशन करने वाले समीर के मुताबिक, हम अपने आप को कमजोर नहीं मानते, वे कहते हैं कि यह सही है कि हम विकलांग हैं लेकिन उन्हें किसी की हमदर्दी नहीं चाहिए। बीए में अध्ययनरत विनीता पाठक कहती है पढ़ाई के कारण अभ्यास के लिए समय नहीं मिल पाता, अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेकर देश का नाम रोशन करने का सपना है।

इसी तरह टीम के अन्य सदस्य विनोद जाटव, शरीफ खां, जगदीश, संगीता राजपूत आदि ने कई प्रदेश व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अनेक पदक प्राप्त किए हैं। इन सभी का मानना है कि अगर व्यक्ति में जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।

इन खिलाडिय़ों के सामने समस्या यह है कि खेल विभाग इन्हें खिलाड़ी ही नहीं मानता, मदद तो दूर की बात है। पैरालिंपिक स्वीमिंग फेडरेशन आफ इंडिया (स्विमेड) की ग्वालियर शाखा के सचिव संजय भार्गव,राजेन्द्र उपाध्याय व विकास हरलालका का कहना है कि अब नेत्रहीन बालिकाओं को इस खेल से जोडऩे पर विचार किया जा रहा है।

ajay sahu
gwalior
9926285100

कोई टिप्पणी नहीं: