गुरुवार, 15 जुलाई 2010

चलो समाज को नई दिशा दें

जिन लोगों को समाज के लोगों ने अपनी जमात से दूर कर रखा है, वे ही समाज को नई दिशा देने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं अमृतसर से डबरा आकर बसीं किन्नर शारदा बाई। जो बिना किसी स्वार्थ के समाज में मानवता की अलख जगा रही हैं। उनके इस कार्य में क्षेत्र के एक वर्ग का सदा सहयोग मिलता रहता है।

बहनजी के नाम से मशहूर डबरा के गुप्तापुरा स्थित हंस महल में रहने वाली किन्नर शारदा बाई बताती हंै कि अब तो डबरा ही कर्मभूमि, तपोभूमि है। यहां के लोग ही मेरे अपने हैं, उनकी खुशी में ही मेरी खुशी है, शहर में ऐसा कोई आयोजन नहीं होता, जिसमें वह बढ़-चढ़कर हिस्सा न लेती हों।

कारगिल युद्ध के समय रिलीफ फंड की बात हो या फिर बाढ़ पीडि़तों की सहायता की, लोगों को प्रेरित कर राशि इकठ्ठी कर मुख्यमंत्री के नाम ड्राफ्ट देने में हर समय आगे रहती हैं। उनका कहना है कि इस काम में मुझे अगर भीख भी मांगनी पड़ेगी तो पीछे नहीं हटूंगी।

हायर सेकंडरी पास शारदा बाई अभी तक १६ बच्चों का लालन-पालन कर उनका विवाह करा चुकी हैं, इनमें ११ लड़कियां व पांच लड़के शामिल हैं। ये बेटे-बेटियां समय-समय पर हालचाल जानने आते हैं। इसके अलावा ३१ ऐसे लड़कियों का विवाह कर चुकी हैं जो निराश्रित थीं।

इस कार्य में उनकी उत्तराधिकारी सोनू पूरी मदद करती है। अपनी गुरु के पद चिह्नों पर चलने वाली स्नातक सोनू का मानना है कि व्यक्ति अगर सक्षम है तो उसे जरूरतमंदों की सहायता अवश्य करना चाहिए, लेकिन समाज में ऐसे लोग कम ही मिलते हैं।

फकीरी गद्दी को ही हद्य परिवर्तन का कारण मानते हुए ५२ वर्षीय शारदा बाई बीते दिनों की याद ताजा करते हुए बताती हैं कि उनका संबंध जमींदार परिवार से है सो शुरू से धन की कमी रही नहीं, १९७१ में यहां आने के बाद भी कोई खास अंतर नहीं आया। लेकिन वर्ष १९७६ में सिमरिया टेकरी के पास हुृए हादसे में घायल अनजान एक युवक की उस समय तक देखभाल की, जब तक उसे होश न आ गया। बाद में उसके पते नारनौद हरियाणा पर सूचित किया, तब उसके परिजन आए और उसे ले गए। उन दिनों इस कार्य से आत्मा को जो शांति महसूस हुई वह बयां नहीं कर सकती। बस, यहीं से मन में मानवता जागी और चल पड़ीं समाज में अलख जगाने। अगर सभी लोग थोड़ा भी सहारा बनें तो देश से गरीबी दूर हो जाएगी, मगर ऐसे लोग कम ही मिलते हैं।

मूलत: अमृतसर की रहने वाली शारदा बाई का कहना है कि दाना पानी ही मुझे डबरा ले आया, यहां लोगों से मिलने के बाद आंखों से पट्टी हटी और समझ में आया कि जीवन क्या होता है। तब से लेकर अब तक जो भी दुखी-गरीब मिला, उसे स्वीकार किया।
ajay sahu
09926285100

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