जो घट रहा है वह जरूरी नहीं कि सही रूप में लोगों के सामने परोसा जाए, इसलिए मैं तो जो देखता हूं बस मन में आता है लिख देता हूं बस, लोगों को जो भी लगे। अच्छा या बुरा। बस लिखता जाता हूं ओर लिखता
मंगलवार, 23 दिसंबर 2008
मूर्ति
पत्थर की मूर्ति पूजनीय है इसलिए नही कि उसमे देवत्व है बल्कि इसलिए कि उसने तराशे जाने का दर्द सहा है और एस मुकाम तक आया है
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