जो घट रहा है वह जरूरी नहीं कि सही रूप में लोगों के सामने परोसा जाए, इसलिए मैं तो जो देखता हूं बस मन में आता है लिख देता हूं बस, लोगों को जो भी लगे। अच्छा या बुरा। बस लिखता जाता हूं ओर लिखता
बुधवार, 17 दिसंबर 2008
रोग पैदा कर ले कोई
रोग पैदा कर ले कोई जिंदगी के,वास्ते सिर्फ सेहत के सहारे जिंदगी कटती नहीं सितारों के आगे जहां और भी हैं,अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं बुत को बुत और खुदा को जो खुदा कहते हैं, हम भी देखें कि तुझे देख के क्या कहते हैं
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