शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008

घर

बनाना था इक घर ये क्या बना बेठे ,कही मन्दिर बना बेठे कही मस्जिद बना बेठे ।
परिंदों के यहाँ फिरकापरस्ती क्यो नही होती ,कभी मन्दिर पर जा बेठे
कभी मस्जिद पर जा बेठे...........

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