रविवार, 28 दिसंबर 2008

जब किसी से

जब किसी से कोई गिला रखना सामने अपने आईना रखना यूं उजालों से वास्ता रखना शमा के पास ही हवा की तामिर चाहे जैसी होइसमें रोने की कुछ जगह रखनामिलना जुलना जहा ज़रूरी हो मिलने ज़ुलने का हौसला रखना

निदा फ़ाज़ली.

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