शनिवार, 14 अगस्त 2010

हमें सोचना होगा


सभी लिक्खाडों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। सवाल मन में है क्या वाकई हम स्वतंत्र है? अगर है तो हम वह सब कुछ क्यों नहीं कर पाते जो हमारे मन में होता है। इससे जाहिर है कहीं न कहीं हम गुलामी जंजीरों में जकड़े हुए हैं। आखिर वे कौन से कारण हैं जो हमें मनमानी करने से रोकते हैं। हमें इसकी तह तक जाना होगा, मन में उठ रहे सवालों का हल भी हमारे पास है, बस जरूरत है आत्ममंथन की। हमें सोचना होगा, विचारना होगा।


जय हिंद

अजय साहू

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