जो घट रहा है वह जरूरी नहीं कि सही रूप में लोगों के सामने परोसा जाए, इसलिए मैं तो जो देखता हूं बस मन में आता है लिख देता हूं बस, लोगों को जो भी लगे। अच्छा या बुरा। बस लिखता जाता हूं ओर लिखता
शनिवार, 7 फ़रवरी 2009
नीरज जी का जन्म-दिवस
हिन्दी साहित्य में नीरज जी का एक विशेष स्थान है।उनकी रचनाएँ पाठकों में हौसला एवं उद्देश्य भरती हैं। ऎसे मूर्धन्य साहित्यकार को जन्म-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
नीरज जी को याद कर के और पाठकों को स्मरण दिला के आपने अनुकरणीय प्रयास किया है -विजय http://hindisahityasangam.blogspot.com/2009/02/blog-post_08.html#links
1 टिप्पणी:
नीरज जी को याद कर के और पाठकों को स्मरण दिला के आपने अनुकरणीय प्रयास किया है
-विजय
http://hindisahityasangam.blogspot.com/2009/02/blog-post_08.html#links
एक टिप्पणी भेजें