जो घट रहा है वह जरूरी नहीं कि सही रूप में लोगों के सामने परोसा जाए, इसलिए मैं तो जो देखता हूं बस मन में आता है लिख देता हूं बस, लोगों को जो भी लगे। अच्छा या बुरा। बस लिखता जाता हूं ओर लिखता
बुधवार, 10 मार्च 2010
मै एक घर बनाना चाहता हू लेकिन कोई साथ नई देता कोई कितना भी खास हो जब काम पड़ता है तो सभी साथ छोड़ देते है
कसूर उनका नहीं है जमाना ही है मगर....
अजय साहू
पत्रकार
ग्वालियर
९१९९२६२८५१००
आईये कारवां बनायें..
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